संबंधबोधक अव्यय –परिभाषा,प्रकार,उदाहरण 

यह सूचना संबंधबोधक अव्यय –परिभाषा,प्रकार,उदाहरण के महत्व को समझाने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिंदी भाषा में छात्रों को वाक्यों की समझ में मदद करता है। संबंधबोधक अव्यय वाक्य के भाव या मार्ग को स्पष्ट करने में सहायक होता है। छात्र इसे समझकर अपनी भाषा के साथ संवाद को अधिक सहज बना सकते हैं। इसके उदाहरण सहायक होते हैं ताकि वे इसे अधिक समझ सकें और अपने भाषा कौशल को समृद्ध कर सकें।

संबंधबोधक अव्यय –परिभाषा,प्रकार,उदाहरण 

संबंधबोधक अव्यय

“संबंधबोधक” शब्द में “संबंध” और “बोधक” का संयोजन है। “संबंध” का अर्थ होता है “योग” या “जोड़” और “बोधक” का अर्थ होता है “सूचक” या “जानकार”। इसलिए, “संबंधबोधक” का अर्थ होता है जो किसी संबंध को सूचित करता है या जोड़ता है। इसे आमतौर पर किसी वाक्य में प्रयोग किया जाता है ताकि पाठक या श्रोता को संबंध का स्पष्ट बोध हो सके। यह भाषा विज्ञान में एक महत्वपूर्ण शब्द है, जैसे कि वाक्य विचार, प्रकार, आदि को समझने में मदद करता है। इसका उपयोग भाषा अध्ययन, भाषा विज्ञान, और साहित्य में होता है।

अव्यय या अविकारी शब्द किसे कहते हैं

जिन शब्दों के रूप में लिंग, वचन, काल कारक तथा पुरुष कारण कोई परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अव्यय या अविकारी शब्द कहते हैं। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है, जिसका व्यय न हो अर्थात जिसमें कुछ भी घट-बढ़ न हो।

 

 

अव्यय या अविकारी शब्द के प्रकार || अव्यय के भेद

अविकारी शब्द को चार भागों में बाँटा जाता है-

  1. क्रियाविशेषण
    2. संबंधबोधक
    3. समुच्चयबोधक

 

संबंधबोधक अव्यय की परिभाषा || संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं

जो अव्यय शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम के साथ आकर उनका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से बताते हैं, उन्हें ‘संबंधबोधक अव्यय’ कहते हैं।

संबंधबोधक अव्यय के उदाहरण – मेरे घर के सामने स्कूल है।
Note –

संबंधबोधक अव्यय विभक्ति के बिना और विभक्ति के साथ दोनों रूपों में प्रयुक्त होते हैं।

जैसे-
(क) राम परिवार सहित मेला देखने गया था। (विभक्ति रहित)
(ख) कमरे के अंदर काफी लोग बैठे हैं। (विभक्ति सहित)

सर्वप्रथम संबंधबोधक अव्यय के प्रकार जान लेते हैं इसके पश्चात इनको विस्तारपूर्वक पढ़ेगे।

संबंधबोधक अव्यय के भेद

(1) प्रयोग के आधार पर

(i) सम्बद्ध

जो अव्यय संज्ञा,सर्वनाम के आगे किसी कारक चिन्ह के साथ लगाए जाते हैं,सम्बद्ध सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – के बिना, के साथ,से पहले आदि।

(ii) अनुबद्ध

जो अव्यय संज्ञा,सर्वनाम के आगे बिना किसी कारक चिन्ह के साथ लगाए जाते हैं,सम्बद्ध सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – तक,सहित,पर्यन्त आदि ।

(2) व्युत्पत्ति के आधार पर

(i) मूल सम्बंधबोधक अव्यय

वे अव्यय जिनकी रचना मूल रूप से हुई है अर्थात ये किसी अन्य शब्द की सहायता से नही बनाये गए है,मूल सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – समान,बिना,तक आदि।

(ii) यौगिक सम्बंधबोधक अव्यय

वे अव्यय जिनकी रचना मूल रूप से नहीं हुई है अर्थात ये किसी अन्य शब्द की सहायता से  बनाये गए है,यौगिक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

जैसे – पर्यन्त = परि + अंत

 

(3) अर्थ के आधार पर

  1. कालवाचक
    2. स्थानवाचक
    3. साधनवाचक
    4. दिशावाचक
    5. समताबोधक
    6. विरोधवाचक
    7. हेतुवाचक
    8. तुलनावाचक
  2. उद्देश्यवाचक
  3. कारणवाचक

 

  1. कालवाचक

जिन से काल) का बोध होता है,कालवाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण – आगे, पहले, बाद में, पश्चात, आदि।

 

  1. स्थानवाचक

जिन से स्थान का बोध होता है,स्थानवाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण – ऊपर, नीचे, बाहर, भीतर, पास, दूर आदि।

 

  1. साधनवाचक

जिन से साधन का बोध होता है,साधनवाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण– के द्वारा, कारण, हेतु, जरिए, सहारे, के हाथ आदि।

 

  1. दिशावाचक

जिन से दिशा का बोध होता है,दिशावाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण – पीछे, तरफ, सामने, आस-पास आदि।

 

  1. समताबोधक

जिन से समानता का बोध होता है,समतावाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण– समान, तरह, बराबर, योग्य, सरीखा, ऐसा, जैसा आदि।

 

  1. विरोधवाचक

जिन से विरोध के भाव का बोध होता है,विरोधवाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण –उलटा, विरुद्ध, प्रतिकूल आदि।

 

  1. हेतुवाचक या व्यतिरेकवाचक

जिन से व्यतिरेक के भाव का बोध होता है,हेतुवाचक या व्यतिरेकवाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण –अतिरिक्त, बदले, जगह, अपेक्षा, सामने, रहित आदि।

 

  1. तुलनावाचक

जिन से तुलना का बोध होता है,तुलनावाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण –बराबर, अपेक्षा आदि।

 

  1. उद्देश्यवाचक

जिन से उद्देश्य का बोध होता है,उद्देश्यवाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण– के लिए, के हेतु,की खातिर ।

 

  1. कारणवाचक

जिन अव्ययों से कारण का बोध होता है,कारणवाचक सम्बंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।

उदाहरण  – के कारण,के मारे,के लिए ।

 

संबंधबोधक और क्रियाविशेषण में अंतर

जो शब्द क्रिया के स्थान, समय, उसके परिमाण या विधि
का बोध कराते हैं वे क्रियाविशेषण कहलाते हैं किंतु जब वे ही शब्द संज्ञा व सर्वनाम शब्दों में संबंध स्थापित करते हैं तो उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।

 

संबंधबोधक अव्यय से जुड़े प्रश्न

 

प्रश्न-1- सम्बंधबोधक के व्युत्पत्ति के आधार पर कितने प्रकार है? उत्तर- 2

प्रश्न-2- सम्बंधबोधक अव्यय के प्रयोग के आधार पर कितने प्रकार है? उत्तर- 2

प्रश्न-3- सम्बंधबोधक अव्यय के अर्थ के आधार पर कितने प्रकार है? उत्तर- मुख्य 10

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