पर्यावरण अध्ययन I Study Of Environment

पर्यावरण अध्ययन I Study Of Environment

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पर्यावरण अध्ययन I Study Of Environment

 

पर्यावरण क्या है ?

एक पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर है, जिसमें जीवित और निर्जीव दोनों चीजें जैसे मिट्टी, पानी, जानवर और पौधे शामिल हैं, जो खुद को अपने परिवेश के अनुकूल बनाते हैं।

यह प्रकृति का उपहार है जो पृथ्वी पर जीवन को पोषण देने में मदद करता है।

पृथ्वी ग्रह पर जीवन के अस्तित्व में पर्यावरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पर्यावरण शब्द फ्रांसीसी शब्द “एनवायरन” से लिया गया है जिसका अर्थ है “आसपास।

एक पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरण में मौजूद सभी जीवित और निर्जीव चीजों को संदर्भित करता है और यह जीवमंडल की एक नींव है, जो पूरे ग्रह पृथ्वी के स्वास्थ्य को निर्धारित करता है।

पारिस्थितिकी और पर्यावरण विज्ञान जीवन विज्ञान की शाखाएं हैं, जो मुख्य रूप से जीवों के अध्ययन और अन्य जीवों और उनके पर्यावरण के साथ उनकी बातचीत से संबंधित हैं।

पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार

पारिस्थितिक तंत्र के दो मुख्य प्रकार हैं

नीचे सूचीबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार और उदाहरण हैं।

  1. प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र – यह प्रकृति में पाया जाने वाला एक प्राकृतिक रूप से उत्पादित जैविक वातावरण है। इसमें रेगिस्तान, जंगल, घास के मैदान, झीलें, पहाड़, तालाब, नदियां, महासागर आदि शामिल हैं।
  2. कृत्रिम पारिस्थितिकी तंत्र – यह एक कृत्रिम वातावरण है जिसे मनुष्य द्वारा बनाया और बनाए रखा जाता है। इसमें एक मछलीघर, फसल के खेत, उद्यान, पार्क, चिड़ियाघर आदि शामिल हैं।

पर्यावरण के घटकों को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

  1. जैविक पर्यावरण-इसमें सभी जीवित जीव जैसे जानवर, पक्षी, जंगल, कीड़े, सरीसृप और सूक्ष्मजीव जैसे शैवाल, बैक्टीरिया, कवक, वायरस आदि शामिल हैं।
  2. अजैविक पर्यावरण– इसमें सभी निर्जीव घटक जैसे वायु, बादल, धूल, भूमि, पहाड़, नदियाँ, तापमान, आर्द्रता, जल, जलवाष्प, रेत आदि शामिल हैं।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण स्वस्थ जीवन और ग्रह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

पृथ्वी विभिन्न जीवित प्रजातियों के लिए एक घर है और हम सभी भोजन, हवा, पानी और अन्य जरूरतों के लिए पर्यावरण पर निर्भर हैं।

इसलिए, प्रत्येक व्यक्ति के लिए हमारे पर्यावरण को बचाना और उसकी रक्षा करना महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण पर मानव गतिविधियों का प्रभाव

विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियाँ हैं जिन्हें सीधे पर्यावरणीय आपदाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, जिनमें शामिल हैं- अम्ल वर्षा, महासागरों का अम्लीकरण, जलवायु में परिवर्तन, वनों की कटाई, ओजोन परत की कमी, खतरनाक कचरे का निपटान, ग्लोबल वार्मिंग, अधिक जनसंख्या, प्रदूषण, आदि।

 

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

पर्यावरण को परिभाषित कीजिए।

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे आसपास है। यह जीवित या निर्जीव चीजें हो सकती हैं। इसमें भौतिक, रासायनिक और अन्य प्राकृतिक बल शामिल हैं। जीवित चीजें अपने वातावरण में रहती हैं। वे लगातार इसके साथ बातचीत करते हैं और अपने वातावरण की स्थितियों के अनुकूल होते हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है ?

पारिस्थितिकी तंत्र जीवित और निर्जीव चीजों का एक समुदाय है जो एक साथ काम करते हैं। पर्यावरण में कोई भी बदलाव जैसे तापमान में वृद्धि या भारी बारिश का पारिस्थितिकी तंत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के बीच अंतर ?

पर्यावरण परिवेश को संदर्भित करता है, जबकि, एक पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरण और जीवित जीवों के बीच एक बातचीत है। पर्यावरण वह क्षेत्र है जहां जीवित जीव रहते हैं। एक पारिस्थितिकी तंत्र एक समुदाय है जहां जैविक और अजैविक तत्व एक दूसरे के साथ बातचीत करते हैं।

पारिस्थितिक तंत्र कितने प्रकार के होते हैं ?

  1. a) स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र:
    वन पारिस्थितिकी तंत्र, चरागाह पारिस्थितिकी तंत्र, टुंड्रा पारिस्थितिकी तंत्र, रेगिस्तान पारिस्थितिकी तंत्र
    b) जलीय पारिस्थितिकी तंत्र: मीठे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र

 

                                           

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 हर परीक्षा के लिए वन लाइनर पर्यावरण अंक

 

  • वह स्थान जो कि दीर्घ काल से बाढ़ से प्रभावित होता है, स्थानीय लोगों में स्थानांतरण का कारण होगा।
  • पुनर्वास के उपायों को मूलतः 3 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
  • शारीरिक पुनर्वास: जिसमें आरंभिक पहचान तथा उपचार, परामर्श व चिकित्सा तथा मदद व उपकरण का प्रावधान है। इसमें पुनर्वास कर्मचारियों का विकास भी शामिल है।
  • व्यावसायिक शिक्षा समेत शैक्षणिक पुनर्वास
  • आर्थिक पुनर्वास समाज में गरिमामय जीवन जीने के लिए
  • ठोस अपिशष्ट पदार्थों के निस्तारण की भस्म करना विधि से वायु प्रदूषण फैलता है।
  • भूमि की भराई, कम्पोस्ट और कृमियों से खाद बनाने से वायु प्रदूषण नहीं फैलता है।
  • कम्पोस्ट एक प्रकार की खाद है, जो जैविक पदार्थों के अपघटन एवं पुनः चक्रण से प्राप्त की जाती है। यह जैविक खेती का मुख्य घटक है।
  • स्कर्वी रोग आपके शरीर में विटामिन-सी की कमी हो जाती है|
  • झारखंड में झूम खेती को ‘कुरूवा नाम’ से जाना जाता है।
  • ब्रोकोली, स्ट्राबेरी, नींबू में विटामिन-सी पाया जाता है। विटामिन-सी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी तत्व माना जाता है।
  • भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं।
  • विटामिन-सी एक एंटीऑक्सीडेंट है, जो कनेक्टिव टिश्यूज को बेहतर बनाता है और जोड़ों को सपोर्ट देने का काम करता है।
  • झूम खेती के रूप में प्रचलित इस प्रणाली को अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर जैसे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पर्याप्त जनसंख्या के लिये खाद्य उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण आधार माना जाता है।
  • कम्पोस्टर बनाने का सबसे सरल तरीका है-नम जैव पदार्थों (जैसे पत्तियाँ, बचा खुचा खाना आदि) का ढ़ेर बनाकर कुछ काल तक प्रतीक्षा करना ताकि इसका विघटन हो जाय।
  • जड़ पेड़ों को सहारा देने के साथ-साथ जल ऊपरी भाग तक पहुँचता है।
  • हांगकांग एशिया महाद्वीप में चीन देश के दक्षिणी हिस्सा में पर्ल नदी के डेल्टा में, एक मुहाना के पूरब किनारा पर वसा एक विशेष प्रशासित इलाका है।
  • मधुबनी चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है।
  • प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ों, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है।
  • झूम खेती की प्रथा सामान्यतः मिजोरम में होता है।
  • लिंग-हु-फेन​यह विभिन्न खाद्यके साथ एक नूडल सूप डिश है।
  • इस व्यंजन को बनाने के लिए ज्यादातरसांप के मांसका इस्तेमाल किया जाता है।
  • यहहांगकांगमें एक लोकप्रिय व्यंजन है।यह मुख्य रूप से कैंटोनीज़ व्यंजनों से प्रेरित है।
  • गोरैया प्राकृतिक रूप से मांसाहारी होते हैं, गोरैया चिड़िया का खाना मुख्य रूप सेफतिंगा और अन्य छोटे कीड़े होते हैं।
  • ओडिशा और पश्चिम बंगाल के राज्यों में काफी प्रचलित ‘पट्टचित्र’ की कला उड़ीसा राज्य की परंपरागत पेंटिंग/ हस्तशिल्प है।
  • आलू, प्याज एवं लहसुन तना है।
  • अपोंग (बाजरा या चावल की बीयर) आमतौर पर पिया जाने वालालोकप्रियपेय है।
  • अपोंग (बाजरा या चावल की बीयर) आमतौर पर पिया जाने वाला लोकप्रिय पेय है।
  • अदरक भी तना है।
  • ‘पोषण’ प्रकरण को पढ़ाते समय शिक्षार्थियों के टिफिन बॉक्स उनके द्वारा खुलवाकर घर से आए खाने का अवलोकन करने को कहना तत्पश्चात व्याख्या करना सर्वाधिक उपयुक्त गतिविधि है।
  • प्याज शल्क पत्र है।
  • पेड़ के जमीन से ऊपर का हिस्सा जो मोटा होता है, तना कहलाता है।
  • पेड़ का वह हिस्सा जो जमीन के अंदर रहता है, जड़ कहलाता है।
  • पाईके पिइला (अचार) खाना पसंद करते हैं।
  • पर्यावरण के जैव घटकों में पेड़-पौधे, जीव-जन्तु आदि आते हैं, जबकि अजैव घटकों में वायु, जल एवं मृदा आते हैं।
  • पट्टचित्र शब्द का उपयोग आमतौर पर पारंपारिक, आधारित स्क्रॉल पेंटिंग के लिए किया जाता है।
  • नाश्ते में भेलपुरी व्यंजन शीघ्रता से तैयार किया जा सकता है।
  • हरियल पक्षी पूर्णतः शाकाहारी होता है। यह कई प्रकार के फल खाते हैं।
  • हरियल पक्षी जो एक तरह का कबूतर है, जमीन पर कभी पैर नहीं रखता है।
  • विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग भोजन होते हैं।किस स्थान पर आसानी से क्या उगता है, इसके आधार पर जगह-जगह अलग-अलग चीजें खाई जाती हैं।
  • मूली जड़ है।
  • मिथिला क्षेत्र में विख्यात मधुबनी चित्रकला अथवा मिथिला पेंटिंग प्रमुख चित्रकला है।
  • तना के ऊपर का हिस्सा टहनी और पत्तियाँ होती है।
  • टैपिओका का दूसरा नाम कप्पा है।
  • हुक जैसी चोंच पक्षी में मीट को काटने और खाने के काम आती है।
  • हांगकांग के लोकप्रिय भोजन लिंग-हू-फेन है।
  • हांगकांग का मुख्य भोजन चावल, मांस, चिकन और सूअर के मांस जैसे विभिन्न मांसाहारी व्यंजनों के साथ किया जाता है।
  • हांगकांग एशिया महाद्वीप में चीन देश के दक्षिणी हिस्सा में पर्ल नदी के डेल्टा में, एक मुहाना के पूरब किनारा पर वसा एक विशेष प्रशासित इलाका है।
  • विटामिन-सी न्यूट्रोफिल यानी सफेद रक्त कोशिकाएँ जो संक्रमण से लड़ती हैं, उनको मदद पहुँचाता है और शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।
  • विटामिन-सी की कमी से क्षुर्रिया रोग होने का कारण लोगों की स्किन बहुत ड्राई होती है उनके चेहरे पर जल्दी क्षुर्रिया आने लगती है।
  • मधुबनी चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है।
  • प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ों, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है।
  • झूम खेती की प्रथा सामान्यतः मिजोरम में होता है।
  • झूम कृषि के स्थानांतरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं।
  • गोवा भारत के पश्चिमी तट पर स्थित है।
  • नारियल तेल और समुद्री मछली की उच्च उपज है।
  • नारियल के तेल में पकाई गई समुद्री मछली गोवामें लोकप्रिय है।
  • असमउत्तर-पूर्वी भारत में स्थित है।यहाँ चावल का सेवन मांस, चिकन और सूअर के मांसजैसे विभिन्न मांसाहारी व्यंजनों के साथ किया जाता है।
  • यहाँ लोगचावल,  बैम्बू शूट , पाईके पिइला (अचार) खाना पसंद करते हैं।   

 

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