तुगलक वंश
गयाशुद्दीन तुगलक
खुशरो खाँ को पराजित कर गाजी मलिक या ने दिल्ली सल्तनत पर तुगलक वंश के शासन की स्थापना की। उसने 29 बार मंगोलों के आक्रमण को विफल किया।
ग्याशुद्दीन ने अपने साम्राज्य में सिंचाई की व्यवस्था की तथा संभवत: नहरों का निर्माण करने वाला वह प्रथम शासक था।
गयाशुद्दीन ने रोमन शैली में एक नवीन नगर तुगलकाबाद बसाया।
इस शहर में छप्पनकोट नामक दुर्ग भी बनवाया। यह नगर दिल्ली के नजदीक स्थित है।
मुहम्मद-बिन-तुगलक
ग्याशुद्दीन तुगलक की मृत्यु के पश्चात जौना खाँ दिल्ली के सिंहासन पर बैठा एवं इतिहास में मुहम्मद-बिन-तुगलक के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
मुहम्मद-बिन-तुगलक मध्यकाल का सबसे शिक्षित, विद्वान एवं योग्य शासक था, परंतु वह अपनी सनक भरी योजनाओं के कारण इतिहास में यथेष्ट स्थान नहीं बना सका।
मुहम्मद-बिन-तुगलक ने दीवान-ए-अमीर-कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की।
मोरक्को निवासी इब्नबतूता को 1333 ई० में मुहम्मद-बिन-तुगलक ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
मुहम्मद-बिन-तुगलक ने इब्नबतूता को 1342 ई० में राजदूत बनाकर चीन भेजा।
मुहम्मद-बिन-तुगलक ने इंशा-ए-महरु नामक पुस्तक की रचना की।
1341 ई० में चीनी सम्राट तोगनतिमुख ने अपना एक राजदूत भेजकर मुहम्मद-बिन-तुगलक से हिमाचल प्रदेश के बौद्ध मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए अनुमति मांगी।
मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन काल में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाईयों ने 1336 ई० में स्वतंत्र राज्य विजयनगर की स्थापना की।
महाराष्ट्र में 1347 ई० में अलाउद्दीन बहमनशाह ने स्वतंत्र बहमनी साम्राज्य की स्थापना कर ली, यह भी मुहम्मद-बिन-तुगलक का ही शासनकाल था।
मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में ही कान्हा नायक ने वारंगल को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया।
मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासन काल में कई विद्रोह हुए-कड़ा-निजाम का विद्रोह, बिदर-साहेब सुल्तान का विद्रोह तथा गुलबर्गा में अली शाह का विद्रोह
मुहम्मद-बिन-तुगलक की मृत्यु थट्टा में हुई।
उसकी मृत्यु पर इतिहासकार जियाउद्दीन बरनी लिखता है-“अंततः जनता को उससे मुक्ति मिली एवं उसे जनता से”
मुहम्मद-बिन-तुगलक दिल्ली सल्तनत का पहला ऐसा सुल्तान था जो अजमेर में शेख मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गया।
फिरोज तुगलक
फिरोज तुगलक सुल्तान मुहम्मद-बिन-तुगलक का चचेरा भाई था।
मुहम्मद-बिन-तुगलक की मृत्यु के पश्चात अगले सुल्तान के रूप में थट्टा में उसका राज्याभिषेक हुआ।
फिरोज का राज्याभिषेक एक बार फिर से अगस्त 1351 ई० में दिल्ली में हुआ |
फुतुहात-ए-फिरोजशाही के अनुसार फिरोज ने राजस्व व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल 4 करों खराज (लंगान), जजिया (गैर-मुस्लिमों से वसूला जाने वाला कर), खम्स (युद्ध में लूट का माल), जकात (मुसलमानों से लिया जाने वाला कर) आदि को ही प्रचलन में मुख्य रूप से रखा।
ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाने वाला पहला मुसलमान शासक फिरोज तुगलक था।
फिरोज तुगलक ने कृषि को उन्नत बनाने के लिए सिंचाई विभाग की स्थापना की तथा सिंचित भूमि पर कुल ऊपज का 1/10 भाग हक-ए-शर्ब (सिंचाई कर) अध्यारोपित किया।
फिरोज तुगलक ने 5 बड़े नहरों का निर्माण करवाया, जिसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण उलूग खानी नहर थी जिसके द्वारा यमुना का पानी हिसार तक पहुँचता था।
फिरोज तुगलक ने हिसार, फिरोजाबाद, फतेहाबाद, जौनपुर एवं फिरोजपुर सहित 300 नये नगरों की स्थापना की।
फिरोज तुगलक ने अशोक के खिज्राबाद (टोपरा) एवं मेरठ में स्थित दो स्तंभों को वहाँ से स्थानांतरित कर दिल्ली में स्थापित किया।
फिरोज तुगलक ने अनाथ मुस्लिम महिलाओं, विधवाओं एवं लड़कियों के लिए दीवान-ए-खैरात (दान विभाग) की स्थापना की।
फिरोज तुगलक के शासनकाल में सल्तनतकालीन सुल्तानों में दासों की संख्या सर्वाधिक (लगभग 1,80,000) थी,
उसने उनके लिए दीवान-ए-वन्द्गान (दास विभाग) की स्थापना की।
मुहम्मद-बिन-तुगलक की 5 विवादास्पद योजनाएँ
राजधानी दिल्ली का दौलताबाद स्थानांतरण,
दोआब क्षेत्र में भू-राजस्व की दर कुल उपज का ½ हिस्सा करना,
सोना-चाँदी के स्थान पर ताँबे एवं पीतल के सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन,
कराचिल का विफल अभियान,
खुरासन का विफल अभियान।
फिरोज तुगलक ने दिल्ली के निकट दार-उल-सफा नामक एक खैराती अस्पताल खोला।
फिरोज तुगलक ने चाँदी एवं तांबे के मिश्रण से शशगनी, अद्धा एवं विख जैसे सिक्के चलाये।
फिरोज तुगलक ने अपनी आत्मकथा फतूहात-ए-फिरोजशाही के नाम से लिखी।
फिरोज तुगलक के दरबार में शम्स-ए-शिराज अफीक एवं जियाउद्दीन बरनी जैसे विद्वानों को संरक्षण प्राप्त था।
फिरोज तुगलक ने ज्वालामुखी मंदिर के पुस्तकालय से लूटे गये 1300 ग्रंथों में से कुछ का फारसी अनुवाद दलायले फिरोजशाही के नाम से फारसी विद्वान आजुद्दीन खादिलखानी द्वारा करवाया।
खान-ए-जहाँ तेलंगानी के मकबरे की तुलना जेरुसलम स्थित उमर-मस्जिद से की जाती है। उक्त मकबरे का निर्माण फिरोज तुगलक के काल में ही हुआ।
दिल्ली स्थित फिरोजशाह कोटला दुर्ग फिरोज तुगलक द्वारा ही निर्मित करवाया गया।
नासिरुद्दीन महमूद तुगलक
नासिरुद्दीन महमूद तुगलक तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
इसी के शासनकाल में तैमूर लंग ने 1398 ई० में भारत पर आक्रमण किया।
मलिक शर्शक नामक एक हिजड़े ने नासिरुद्दीन महमूद के शासनकाल में ही जौनपुर को एक स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया।