कारक : भेद, परिभाषा, उदाहरण

कारक : भेद, परिभाषा, उदाहरण

कारक वह शब्द है जो किसी क्रिया के प्रदर्शन में सहायक होता है और उसे और वाक्य को संरचित करने में मदद करता है। कारक से किसी वाक्यांश का अर्थ स्पष्ट होता है और यह सुनिश्चित करता है कि विषय, क्रिया, और कर्म का सही सम्बन्ध होता है।

विभक्ति कारक क्रिया चिन्ह
प्रथमा कर्ता ने
द्वितीया कर्म को
तृतीया करण से, के द्वारा
चतुर्थी सम्प्रदान के लिए , को
पंचमी अपादान से (अलग होने के अर्थ में)
षष्ठी सम्बन्ध का, के, की
सप्तमी अधिकरण में, पर
सम्बोधन सम्बोधन हे! ओर!
  1. करण कारक (कारण): यह कारक बताता है कि क्रिया के प्रदर्शन का कारण क्या है।
    • उदाहरण: राम ने पेड़ को काटा। यहाँ, “राम” करण कारक है।
  2. कर्म कारक (क्रिया): यह कारक बताता है कि क्रिया किसे या क्या हो रही है।
    • उदाहरण: मैंने पुस्तक पढ़ी। यहाँ, “पुस्तक” कर्म कारक है।
  3. संबंध कारक (संबंध): यह कारक बताता है कि क्रिया का किससे या किसके साथ संबंध है।
    • उदाहरण: मैं राम से मिला। यहाँ, “राम से” संबंध कारक है।
  4. स्थान कारक (स्थान): यह कारक बताता है कि क्रिया कहाँ हो रही है।
    • उदाहरण: मैं बालक मंदिर गया। यहाँ, “मंदिर” स्थान कारक है।
  5. काल कारक (काल): यह कारक बताता है कि क्रिया कब हो रही है।
    • उदाहरण: वह सोया। यहाँ, “सोया” काल कारक है।
  6. आपादान कारक (आपादान): यह कारक बताता है कि क्रिया किसकी ओर हो रही है या किसकी ओर से हो रही है।
    • उदाहरण: उसने मुझपर चिढ़ाई। यहाँ, “मुझपर” आपादान कारक है।

 उदाहरण 

  1. यहाँ एक बड़ा पुस्तकालय है। (स्थान कारक – पुस्तकालय)
  2. राजा ने सेना को रास्ते पर बढ़ाया। (करण कारक – सेना, कर्म कारक – रास्ते)
  3. कल रात बहुत ठंडी थी। (काल कारक – कल रात)
  4. वह मेरे साथ सच्चाई बोल रहा है। (आपादान कारक – मेरे साथ)
  5. बच्चे ने बालकों के साथ खेला। (संबंध कारक – बालकों के साथ)

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