बांग्लादेश हिंसा पर भारत अलर्ट, क्या करेगी मोदी सरकार
बांग्लादेश हिंसा पर भारत अलर्ट, क्या करेगी मोदी सरकार
बांग्लादेश हिंसा की आग में झुलस रहा है, पीएम शेख हसीना के इस्तीफा की मांग ने आग में घी डालने का काम किया. हिंसक प्रदर्शन में पुलिस की तरफ से फायरिंग की गई जिसमें, 91 निर्दोष जान गई फिर भी यह हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रहा. हिंसा को रोकने के लिए सुरक्षा कर्मियों की तरफ से काफी सारे मजबूत कदम उठाए गए. जिसमें आंसू गैस के गोले छोड़े गए और रबड़ की गोलियां भी छोड़ी गई लेकिन, इन सब चीजों का भी प्रदर्शन कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता दिख रहा. इस हिंसात्मक प्रक्रिया में न सिर्फ निर्दोष जनता की जानी गई, 13 सुरक्षा कर्मी भी अपनी जान से हाथ धो बैठे. सवाल यह उठता है कि इन सब का जिम्मेदार कौन है प्रधानमंत्री शेख हसीना या उग्रवादी भीड़.
19 जुलाई को सरकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर छात्रों ने हिंसात्मक प्रदर्शन किया, जो अब तक का बांग्लादेश के इतिहास में कभी नहीं होने वाला प्रदर्शन रहा. इस प्रदर्शन को देखकर यही कहा जा सकता है की मौत का आंकड़ा कितना होगा कोई अंदाजा नहीं. बांग्लादेश की बात करें तो यहां हिंसा थमने का नाम नहीं ले रहा. लोग इससे परेशानी झेल रहे हैं, वहीं इस हिंसा और आगजगी के बीच कुछ उग्रवादी ने वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया. हिंदुओं के आस्था पर वार किया गया. बहुत सारे मंदिर ध्वस्त कर दिए गए उनके घर दुकानों को आग लगा दिया गया. यहां तक भी थमने का नाम नहीं ले रहा है यह उग्रवादी भीड़. इतना ही नहीं, इतना कम था तो हिंदू बहन बेटियों के साथ दुष्कर्म भी किया जा रहे हैं. बहरहाल आपको बता दें कि भारत- बांग्लादेश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी जमीनी सीमा साझा करते हैं जो कि कल 4096 किलोमीटर है. जिस वजह से इस बॉर्डर पर सुरक्षा और पेट्रोलिंग बहुत ही कठिन हो जाता है.
क्या करेगी भारत सरकार?
भारत सरकार ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें सभी भारतीय नागरिकों को ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग से संपर्क में रहने का अनुरोध किया गया और आवाजाही को सीमित रखने की मांग की गई.
प्रधानमंत्री शेख हसीना की इस्तीफा ने बढ़ा दी हिंदुओं की मुश्किलें
भारत के लिए शेख हसीना का इस्तीफा किसी झटके से काम नहीं. इस हिंसात्मक प्रदर्शन ने मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है. बांग्लादेश में हिंदुओं की यह हाल है कि लोग हर पल डर के साए में जी रहे हैं. उनके घर उनकी आस्था इज्जत आबरू सब ध्वस्त कर दिए जा रहे हैं. यह हालात सिर्फ बांग्लादेश की राजधानी ढाका की नहीं बल्कि, समूचे बांग्लादेश की है. उस बांग्लादेश की जिनको बनाया ही भारत ने, आज इस धरती पर भारतीय ही सुरक्षित नहीं है.
बांग्लादेश से राजनीति रिश्ते
आपको बता दे कि बांग्लादेश के साथ भारत के राजनीतिक रिश्ते काफी मजबूत रहे हैं लेकिन, शेख हसीना की तख्ता पलट के बाद सब स्वाहा हो गया और यह भारत के लिए बड़ा झटका है.
हिंदुओं का पलायन, सदमे में सरकार
बीते दिनों में भारतीय या हिंदू वर्ग जो कुछ भी जेल रहा है वह अब सिलसिला बन चुका है जो की थमने का नाम नहीं ले रहा. इस मुश्किल हालात में लोग अपने वतन की ओर ही लौटेंगे. जाहिर बात है कि इससे भारतीय सुरक्षा पर भी असर पड़ेगा. जान बचाने के लिए बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अल्पसंख्यक भारत की ओर रुख कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों की माने तो उनके आने के साथ-साथ ही कुछ आतंकवादी भी भारत में आने की तैयारी कर रहे हैं. यह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही खतरनाक है ऐसे में सवाल यह उठता है कि, भारत का अगला कदम क्या होगा.
क्या भारत उठेगा 1971 जैसे कदम
बांग्लादेश के हिंदुओं की जान माल की रक्षा के लिए भारत हर कदम उठाने को तैयार है. शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में शांति स्थापित होना नामुमकिन है. वहीं बांग्लादेश में तकरीबन एक करोड़ 30 लाख हिंदू भाई बहन मुश्किलों भरी हालत में जी रहे हैं. उनकी जान माल खतरे में है और भारत यूं ही हाथ पैर हाथ धरे नहीं बैठ सकता. लेकिन सवाल यह है कि ऐसे मुश्किल हालात में भारत बात भी कर तो किससे…..
क्या नहीं मिलेगी शरणार्थियों को शरण
अब भारत के पास सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि, बांग्लादेशी अल्पसंख्यकों के साथ-साथ भारतीय हिंदुओं को शरण कैसे दिया जाए. क्योंकि एक तरफ पाकिस्तान से प्रोक्सी बोर्ड चीनी तनाव और अब यह हालत भारत की ओर रुख कर चुके हैं. भारत इससे बहुत सदमे में है, इस अराजकता के माहौल में अब आंदोलन ने वहां सांप्रदायिक रंग ले लिया है. शेख हसीना ने वहां की सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक भी की जिसके बाद उन्होंने कहा कि यह विद्यार्थी नहीं है जो अराजकता फैला रहे हैं यह विद्यार्थियों के रूप में वह लोग हैं वह आतंकवादी है, जो बांग्लादेश की शांति को भंग करना चाहते हैं. इस वक्त हमें एकजुट होकर इन आतंकवादियों को शक्ति से कुचलना होगा. लेकिन फिर भी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के अलावा और भी अल्पसंख्यकों को चुन चुन कर निशाना बनाया जा रहा है.
मौजूदा हालात पर CDS जनरल ने जताई चिंता
इस माहौल के बीच पहली बार CDS जनरल अनिल चौहान का बड़ा बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए परीक्षा की घड़ी है. हम पहले से ही पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध जैसे हालात में है, वहीं बांग्लादेश के बिगड़ते हालात भारत के लिए घोर चिंता का विषय बन गया है. लेकिन भारत सरकार ने कभी ऐसे हालातो से हार नहीं माना है. हमने कार्यवाही शुरू कर दी है.
पड़ोसी देश में अराजकता के मध्यनजर मोदी सरकार का बड़ा ऐलान
आपको बता दे कि बीते सप्ताह बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना को तख्ता पलट के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन से बचने के लिए भारत में शरण लेना पड़ा. कहीं ना कहीं उनकी जान भी खतरे में थी जो वहां की सुरक्षा एजेंसियों ने बचाई. इसके बाद ताजा हालातो को देखते हुए मोदी सरकार ने यह अहम फैसला लिया है कि, हिंसागर्थ बांग्लादेश में सभी वीजा आवेदन केंद्र अगले एडवाइजरी तक बंद कर दिए जाएं. यह कदम सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है. उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी मुल्क में अराजकता उग्रवादियों को भारी पड़ेगी. भारत यूं ही सब कुछ देखता नहीं रहेगा.