कारक की परिभाषा, कारक के भेद और उदाहरण
कारक कारक क्या होता है ?
कारक (हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है जो किसी क्रिया के संदर्भ को स्पष्ट करने के लिए प्रयुक्त होता है। कारक का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि क्रिया किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ कैसे हो रही है, या क्रिया को कैसे किया जा रहा है। कारक की मदद से क्रिया के कर्ता, विधि, उपकरण, प्राप्य, समय, स्थान, कारण, आदि के संदर्भ को स्पष्ट किया जा सकता है।
कारक महत्वपूर्ण तथ्य
कारक | चिन्ह | अर्थ |
कर्ता कारक | ने | काम करने वाले का बोध होता हो |
कर्म कारक | को | जिस पर काम के प्रभाव पडने का बोध होता हो |
करण कारक | से, द्वारा | क्रिया का कारण अर्थात जिसके द्वारा कर्ता काम करे |
सम्प्रदान कारक | को, के लिये | जिसके लिये क्रिया की जाने का बोध होता हो |
अपादान कारक | से अलग होना | अलग होना प्रकट करने के लिये |
सम्बन्ध कारक | का, की, के, ना, नी, ने, रा, री, रे | वाक्य के अन्य पदों से सम्बन्ध का बोध होता हो |
अधिकरण कारक | में, पर | क्रिया का आधार |
सम्बोधन कारक | हे! अरे! अजी! | किसी को पुकारना अथवा बुलाना संबोधित करना |
- करण कारक (कारण):यह कारक बताता है कि क्रिया के प्रदर्शन का कारण क्या है।
- उदाहरण:राम ने पेड़ को काटा। यहाँ, “राम” करण कारक है।
- कर्म कारक (क्रिया):यह कारक बताता है कि क्रिया किसे या क्या हो रही है।
- उदाहरण:मैंने पुस्तक पढ़ी। यहाँ, “पुस्तक” कर्म कारक है।
- संबंध कारक (संबंध):यह कारक बताता है कि क्रिया का किससे या किसके साथ संबंध है।
- उदाहरण:मैं राम से मिला। यहाँ, “राम से” संबंध कारक है।
- स्थान कारक (स्थान):यह कारक बताता है कि क्रिया कहाँ हो रही है।
- उदाहरण:मैं बालक मंदिर गया। यहाँ, “मंदिर” स्थान कारक है।
- काल कारक (काल):यह कारक बताता है कि क्रिया कब हो रही है।
- उदाहरण:वह सोया। यहाँ, “सोया” काल कारक है।
- आपादान कारक (आपादान):यह कारक बताता है कि क्रिया किसकी ओर हो रही है या किसकी ओर से हो रही है।
- उदाहरण:उसने मुझपर चिढ़ाई। यहाँ, “मुझपर” आपादान कारक है।
कारक उदाहरण |
- राजा ने सेना को रास्ते पर बढ़ाया। (करण कारक – सेना, कर्म कारक – रास्ते)
- बच्चे ने बालकों के साथ खेला। (संबंध कारक – बालकों के साथ)
- यहाँ एक बड़ा पुस्तकालय है। (स्थान कारक – पुस्तकालय)
- कल रात बहुत ठंडी थी। (काल कारक – कल रात)
- वह मेरे साथ सच्चाई बोल रहा है। (आपादान कारक – मेरे साथ)
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कारक से क्या अभिप्राय है?
कारक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – करने वाला अर्थात क्रिया को पूरी तरह करने में किसी न किसी भूमिका को निभाने वाला। संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसे कारक कहते है।
विभक्ति या परसर्ग
कारकों का रुप प्रकट करने के लिये उनके साथ जो शब्द चिन्ह लगते है, उन्हें विभक्ति कहते है। इन कारक चिन्हों या विभक्तियों को परसर्ग भी कहते है। जैसे – ने, में, को, से।
कारक के भेद Karak in Hindi
कारक के कुल भेद आठ होते हैं, जिनके नाम हैं, कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, आपादान, सम्बन्ध,अधिकरण और संबोधन कारक हैं।
विभक्ति कारक क्रिया चिन्ह
प्रथमा कर्ता ने
द्वितीया कर्म को
तृतीया करण से, के द्वारा
चतुर्थी सम्प्रदान के लिए , को
पंचमी अपादान से (अलग होने के अर्थ में)
षष्ठी सम्बन्ध का, के, की
सप्तमी अधिकरण में, पर
सम्बोधन सम्बोधन हे! ओर!
कर्ता कारक – Karta Karak
क्रिया के करने वाले को कर्ता कारक कहतें है। यह पद प्रायः संज्ञा या सर्वनाम होता है। इसका सम्बन्ध क्रिया से होता है। जैसे – राम ने पत्र लिखा । यहाँ कर्ता राम है।कर्ता कारक का प्रयोग दो प्रकार से होता है –
परसर्ग सहित – जैसे – राम ने पुस्तक पढ़ी। यहाँ कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग है । भूतकाल की सकर्मक क्रिया होने पर कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग लगाया जाता है।
परसर्ग रहित – (क) भूतकाल की अकर्मक क्रिया के साथ परसर्ग ‘ने’ नही लगता| जैसे – राम गया। मोहन गिरा।
वर्तमान और भविष्यत काल में परसर्ग का प्रयोग नहीं होता।
कर्ता कारक के उदाहरण
जैसे – बालक लिखता है (वर्तमान काल)
रमेश घर जायगा। (भविष्य काल)
- कर्म कारक -Karm Karak
जिस वस्तु पर क्रिया का फल पड़ता है, संज्ञा के उस रुप को कर्म कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘को’ है।
कर्म कारक के उदाहरण
जैसे – (क) राम ने रावण को मारा । यहाँ मारने की क्रिया का फल रावण पर पड़ा है।
(ख) उसने पत्र लिखा । यहाँ लिखना क्रिया का फल ‘पत्र’ पर है, अतः पत्र कर्म है।
- करण कारक – Karan Karak
संज्ञा के जिस रुप से क्रिया के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह है – से (द्वारा)
करण कारक के उदाहरण
जैसे – राम ने रावण को बाण से मारा।
यहाँ राम बाण से या बाण द्वारा रावण को मारने का काम करता है। यहाँ ‘बाण से’ करण कारक है।
- सम्प्रदान कारक – Sampradan Karak
सम्प्रदान का अर्थ है देना । जिसे कुछ दिया जाए या जिसके लिए कुछ किया जाए उसका बोध कराने वाले संज्ञा के रुप को सम्प्रदान कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘के लिए’ या ‘को है।
सम्प्रदान कारक के उदाहरण
जैसे – मोहन ब्राह्मण को दान देता है या मोहन ब्राह्मण के लिए दान देता है।
यहाँ ब्राह्मण को या ब्राह्मण के लिए सम्प्रदान कारक है।
- अपादान कारक – Apadan karak
संज्ञा के जिस रुप से अलगाव का बोध हो उसे अपादान कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह से’ है।
अपादान कारक के उदाहरण
जैसे – वृक्ष से पत्ते गिरते हैं ।
मदन घोड़े से गिर पड़ा।
यहाँ वृक्ष से और घोड़े से अपादान कारक है । अलग होने के अतिरिक्त निकलने, सीखने, उरने, लजाने, अथवा तुलना करने के भाव में भी इसका प्रयोग होता है।
निकलने के अर्थ में – गंगा हिमालय से निकलती है।
उरने के अर्थ में – चोर पुलिस से उरता है।
सीखने के अर्थ में – विद्यार्थी अध्यापक से सीखते है।
लजाने के अर्थ में – वह ससुर से लजाती है।
तुलना के अर्थ में – राकेश रुपेश से चतुर है।
दूरी के अर्थ में – पृथ्वी सूर्य से दूर है।
- सम्बन्ध कारक -Sambhndh Karak
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका सम्बन्ध वाक्य की दूसरी संज्ञा से प्रकट हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं। इसके परसर्ग हैं – का, के, की, ना, ने, नो, रा,रे,री आदि ।
सम्बन्ध कारक के उदाहरण
जैसे – राजा दशरथ का बड़ा बेटा राम था।
राजा दशरथ के चार बेटे थे।
राजा दशरथ की तीन रानियाँ थी।
विशेष :- संबंध कारक की यह विशेषता हैं कि उसकी विभक्तियाँ (का, के, की)
संज्ञा, लिंग, वचन के अनुसार बदल जाती हैं।
जैसे – (क) लड़के का सिर दुख रहा है।
(ख) लड़के के पैर में दर्द है।
(ग) लड़के की टॉग में चोट है।
- अधिकरण कारक – Adhikaran Karak
अधिकरण का अर्थ है आधार या आश्रय । संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से क्रिया के आधार (स्थान, समय, अवसर आदि) का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। इस कारक के विभक्ति चिन्ह हैं – में, पे, पर ।
अधिकरण कारक के उदाहरण
जैसे – (क) उस कमरे में चार चोर थे
(ख) मेज पर पुस्तक रखी थी।
- सम्बोधन कारक – Sanbodhan karak
शब्द के जिस रुप से किसी को सम्बोधित किया जाए या पुकारा जाए, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। इसमें ‘हे’, ‘अरे’ का प्रयोग किया जाता है।
सम्बोधन कारक के उदाहरण
जैसे – हे प्रभों, क्षमा करो। अरे बच्चो, शान्त हो जाओ।
विशेष :- कभी – कभी नाम पर जोर देकर सम्बोधन का काम चला लिया जाता है। वहाँ कारक चिन्हों की आवश्यकता नही होती। जैसे – अरे । आप आ गए। अजी। इधर तो आओ।… Read more at: https://www.adda247.com/teaching-jobs-exam/karak-in-hindi/
बहुविकल्पात्मक प्रश्न
प्रश्न 1 – कारक की विभक्तियों को और किस नाम से पुकारा जा सकता है –
(क) काल
(ख) लिंग
(ग) परसर्ग
(घ) क्रिया
उत्तर : (ग) परसर्ग
प्रश्न 2 – ‘का’ ‘की’ ‘के’ विभक्ति-चिह्न किस कारक के हैं?
(क) संबंध कारक के
(ख) कर्म कारक के
(ग) कर्ता कारक के
(घ) संप्रदान कारक के
उत्तर : (क) संबंध कारक के
प्रश्न 3 – कारक के कितने भेद होते हैं?
(क) पाँच
(ख) सात
(ग) आठ
(घ) नौ
उत्तर : (ग) आठ
प्रश्न 4 – शब्द के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे ———- कहते हैं।
(क) करण कारक
(ख) कर्त्ता कारक
(ग) संबंध कारक
(घ) संप्रदान कारक
उत्तर : (ख) कर्त्ता कारक
प्रश्न 5 – वृक्ष से पत्ते गिरते हैं। वाक्य में रेखांकित पद कौन सा कारक है।
(क) कर्म कारक
(ख) करण कारक
(ग) अपादान कारक
(घ) संप्रदान कारक
उत्तर : (ग) अपादान कारक
प्रश्न 6 – जिसे कुछ दिया जाए या जिसके लिए क्रिया की जाए, उसे ———- कहते हैं।
(क) कर्म कारक
(ख) करण कारक
(ग) अपादान कारक
(घ) संप्रदान कारक
उत्तर : (घ) संप्रदान कारक
प्रश्न 7 – कर्ता जिस साधन या माध्यम से कार्य करता है या क्रिया करता है, उस साधन या माध्यम को क्या कहते हैं।
(क) कर्म कारक
(ख) करण कारक
(ग) अपादान कारक
(घ) संप्रदान कारक
उत्तर : (ख) करण कारक
प्रश्न 8 – नेहा मेरे लिए कॉफ़ी बना रही है। वाक्य में रेखांकित शब्द है
(क) कर्ता कारक
(ख) करण कारक
(ग) संप्रदान कारक
(घ) अपादान कारक
उत्तर : (क) कर्ता कारक
प्रश्न 9 – ‘चाय मेज़ पर रख देना’ रेखांकित शब्द कौन सा कारक है
(क) कर्ता कारक
(ख) अपादान कारक
(ग) संबोधन कारक
(घ) अधिकरण कारक
उत्तर : (घ) अधिकरण कारक
प्रश्न 10 – जिन शब्दों का प्रयोग किसी को पुकारने, सचेत करने आदि के लिए किया जाता है, उसे क्या कहते हैं।
(क) कर्ता कारक।
(ख) अपादान कारक
(ग) संबोधन कारक
(घ) अधिकरण कारक
उत्तर : (ग) संबोधन कारक