अशोक
- काल – 273/269 ई.पू. से 232 ई.पू.
जिस समय बिन्दुसार की मृत्यु हुई उस समय अशोक तक्षशिला का विद्रोह के लिए गया हुआ था।
बिन्दुसार ने सुसीम को राजा घोषित कर दिया था, परन्तु राधागुप्त की सहायता से अशोक ने 273 ई.पू. - स्वयं को राजा घोषित कर दिया।
269 ई.पू. में अशोक ने मगघ को जीता तथा इसी वर्ष उसका राज्याभिषेक हुआ।
अशोक के अभिलेख में उसके शासन की गणना इसी वर्ष से की जाती है।
बौद्ध ग्रन्थों में अशोक को चण्ड अशोक कहा गया है, क्योंकि बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार अशोक ने अपने - 99 भाइयों का वध किया था यह बात असत्य है।
अशोक के अभिलेखों में केवल उसकी एक पत्नी कारूवाकी का उल्लेख हआ है जो तीवर की माता थी। - अशोक का प्रथम विवाह उज्जयनी के शाक्य जाति के ब्राह्मण की पुत्री देवी (महादेवी) से हुआ था।
- इसकी एक अन्य पत्नी तिष्यरक्षिता का भी उल्लेख मिलता है।
- अशोक का पुराणों में नाम – अशोक वर्धन
- मास्की शिलालेख में अशोक का नाम – बुध शाक्य
- अशोक की पुत्री – संघमित्रा, चारुमति
- अशोक के पुत्र – महेंद्र, कुणाल, तीवर, जालौ
- सर्वप्रथम 1750 ई. में टीलपेंथर ने अशोक की लिपि के बारे में बताया तथा इसी पहचान श्रीलंका के राजा तिस्स से थी।
- 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने अशोक की लिपि को पढ़ा तथा बताया कि यह मगध का राजा अशोक मौर्य है
- अशोक ने 261 ई. पू. में कलिंग विजय प्राप्त की।
- कलिंग की राजधानी तोसाली थी।
- अर्थशास्त्र के अनुसार कलिंग हाथियों के लिए प्रसिद्ध था।
- किसी भी साक्ष्य में कलिंग के राजा का उल्लेख नहीं मिलता है।
- इस युद्ध के पश्चात अशोक का हदय परिवर्तन हो गया तथा उसे अगले ही वर्ष बौद्ध धर्म अपना लिया। (260 ई. पू.)
- अशोक को बौद्ध धर्म में 7 वर्षीय बालक निग्रोध ने दीक्षित किया।
- दिव्यवदान के अनुसार उपगुप्त नाम मिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की शिक्षा दी।
- अशोक के समय 251 ई.पू. में मोगलीपुत्र तिस्स की अध्यक्षता में पाटलीपुत्र में तीसरी बौद्ध संगीति हुई जिसमें
- अभिधम्म पिटक (त्रिपिटक का एक ग्रंथ) की रचना हुई |
- इसके पश्चात अशोक मौगलिपुत्ततिस्य के सम्पर्क में आया।
- अन्तिम समय अशोक के दीन अवस्था में बीते तथा 232 ई.पू. में अशोक की मृत्यु हो गई।
- अशोक के प्रजा उत्थान के कार्यो की समीक्षा उसके शिलालेखों से करते है।
- अशेक के अभिलेख ब्राह्मी, खरोष्ठी तथा अरामइक लिपि में प्राप्त हुए है। जिनकी भाषा प्राकृत थी।
- अशोक के 14 वृहद्ध शिलालेख
- इन अभिलेखों का लेखक चापड़ नामक व्यक्ति को बताया जाता है।
ब्रहमगिरी लघू शिलालेख में चापड़ का वर्णन है।
इन शिलालेखों से अशोक के प्रशासन की जानकारी मिलती है इनमें राज्य की 14 आज्ञाएं है इसलिए - इन्हें चतुर्दश शिलालेख कहा जाता है
ये अभिलेख 8 विभिन्न स्थानों से प्राप्त हुए है।
1.शाहबाजगढ़ी (पेशावर पाकिस्तान) :- इस अभिलेख की खोज जनरल कोर्ट द्वारा की गई (1836), इसमें 12 वाँ - पठान्तर गायब था जिसे 1889 में हेराल्ड डीन ने खोजा।
2.मानसेहरा (हजारा-पाक) – कनिघंम
3.कालसी – देहरादून – फोरेस्ट – (1860)
4.गिरनार – गुजरात – कर्नल टाॅड (1822)
5.एर्रागुडी (आंघ्र प्रदेश) – भारतीय पुरात्व विभाग के अनुसंधान कर्ता अनुघोष ने खोजा।
6.सोपारा – महाराष्ट्र – इसे भी भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा खोजा गया।
7.घोली (उड़ीसा) – इसमें 13 वां अभिलेख नहीं है। (कीटो)
8.जोगढ़ (उड़ीसा) – इसमें भी 13 वां अभिलेख नहीं है (वाल्टर इलिएट)
धोली तथा जोगढ़ को कलिंग प्रज्ञाप्ति/ पृथक शिलालेख कहा गया है।
धौली व जोगढ़ शिलालेखों में 11, 12, 13 नंबर का लेख नहीं है इनके स्थान पर दो अलग लेख उत्कीर्ण है
तीसरे लेख में प्रादेशिक, रज्जुक व युक्त नामक अधिकारियों का उल्लेख मिलता है
अशोक ने प्रत्येक स्थान पर राजमार्गो के निकट विभिन्न राजाज्ञाएं खुदवायी।
प्रथम राजाज्ञा में राजकीय पाकशाला में पशुओं का वघ वर्जित कर दिया गया। अब केवल दो मोर तथा एकमृग ही मारा जाने लगा।
पाँचवी राजाज्ञा में यह उल्लेख किया गया है कि राज्याभिषेक के धर्म प्रचार 13 वर्ष पश्चात धम्म महामात्रों - की नियुक्ति की गई है।
9 वीं राजाज्ञा में अशोक ने स्वर्ग की प्राप्ति का उल्लेख किया है।
13 वीं राजाज्ञा में अशोक ने कलिंग विजय का उल्लेख किया है तथा अशोक की विदेश नीति - भी इसी अभिलेख में लिखी गई है।
अशोक के अभिलेख यूनान के राजा डेरियस से प्रेरित थे।
अशोक का धम्म बौद्ध ग्रन्थ राहुलवादक सूत्र से लिया गया है।
अशोक द्वारा धम्म के प्रचार हेतु निकाली गई यात्राएं अनुसंयान कहलाती है।
अशोक के लघु शिलालेख
- अशोक के लघु शिलालेख :- गुर्जरा (MP), मास्की, नेतुर, उदेगोलेम (कर्नाटक), भाब्रु (राजस्थान)
इनसे अशोक के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी मिलती है
मास्की शिलालेख में में अशोक को बुध शाक्य कहा गया है
अशोक के भाब्रु लघु शिलालेख को त्रिरत्न शिलालेख कहा जाता है क्युकी अशोक इसके माध्यम से बौद्ध - धर्म के त्रिरत्न बुद्ध, धम्म व संघ के प्रति आस्था प्रकृट करता है
- अशोक के स्तम्भ लेख
- अशोक के वृहत स्तंभलेख :- दिल्ली टोपरा, दिल्ली मेरठ, लोरिया – अरराज (बिहार), लोरिया – नंदनगढ़ (बिहार),
- रामपूरवा (बिहार), प्रयाग (UP)
अशोक के लघु स्तम्भलेख :- साँची, सारनाथ
अशोक ने वृहद शिलालेखों के अलावा स्तम्भ लेख भी खुदवाये।
ये 6 स्थानों से प्राप्त किये गये है तथा प्रत्येक पर 7 घोषणाएं की गई थी।
दिल्ली टोपरा अभिलेख को फिरोजशाह तुगलक अपनी नई राजधानी कोटला ले आया तथा इसे स्थापित किया।
इसी स्तम्भ लेख में इसकी सातों धोषणाओं का उल्लेख है, बाकी सभी स्तम्भ लेखों मे इसकी 6 घोषणाएं ही मिलती है।
फिरोजशाह तुगलक मेरठ अभिलेख को भी दिल्ली ले आया था।
विग्रहराज चतुर्थ का लेख दिल्ली टोपरा स्तम्भ लेख पर खुदा हुआ है।
इलाहाबाद स्तम्भ लेख को रानी का लेख भी कहते है, मूलतः ये कौशांबी में था।
इसी अभिलेख पर समुद्रगुप्त के सन्धि विग्राहक हरिषेण ने प्रयाग प्रशास्ति लिखी तथा जहांगीर ने भी इस परअपना लेख खुदवाया। - लौरिया-नंदनगढ़:- इस स्तम्भ मे ही मयूर की आकृति बनी हुई है।
- गु्रनवेडेल के अनुसार मोर मौर्यो का वंशीय चिह्न था।
- लौरियानंदनगढ़ स्तम्भ लेख बिहार के चम्पारण जिले में स्थित है।
- लौरिया-अरराज :- यह भी बिहार के गया जिले में स्थित है।
- रामपुरवा:- यह बिहार के राजा जिले में है।
- अशोक अपने राज्याभिषेक के 10 वें वर्ष बौद्ध गया की यात्रा पर गया तथा 20 वें वर्ष लुम्बिनी की यात्रा पर गया।
- रूम्मंदेई लघु शिलालेख में यह लिखा गया है कि अशोक द्वारा बलि को समाप्त कर दिया गया तथा भागका 1/8 ही कर के रूप में लिया जायेगा।
- सारनाथ लघु स्तम्भ लेख में भारत का राष्ट्रीय चिह्न लिया गया है इससे 4 सिंह बने हुए है।
- साँची स्तम्भलेख में चार सिंहों के नीचे दान चुगते हुए हंस की आकृति है
सारनाथ स्तम्भलेख में चार सिंह की आकृति के नीचे चार पशु (हाथी, घोडा, वृषभ, सिंह) की आकृति है - अशोक के गुहा लेख
- अशोक ने बिहार स्थित बराबर की पहाड़ियों में आजीवक सम्प्रदाय के लिए सुदामा, कर्ण – चौपार, व विश्व
- झोपड़ी नामक गुफाओं का निर्माण करवाया
अशोक के पौत्र दशरथ ने बिहार स्थित नागार्जुनी की पहाड़ियों में आजीवक संप्रदाय के लिए निम्न गुफाओं - का निर्माण कराया – गोपी, लोमर्षि, वडथिका