महत्त्वपूर्ण शब्दावली और तथ्य Geography Glossary
भूगोल से सम्बंधित शब्दावली
प्रमाणिक समय और स्थानीय समय
पृथ्वी पर किसी स्थान विशेष का सूर्य की स्थिति से निकाला गया समय स्थानीय समय कहलाता है.
दूसरी ओर किसी देश के मध्य से गुजरने वाली देशांतर रेखा के अनुसार लिया गया समय उस देश का प्रमाणिक समय कहलाता है.
विषुव (Equinox)
जब सूर्य विषुवत् रेखा पर लम्बवत चमकता है तो दोनों गोलार्धों पर दिन और रात बराबर होता है, जिसे विषुव कहा जाता है.
21 मार्च (वसंत ऋतु) और 23 सितम्बर (शरद ऋतु) को दिन और रात बराबर अवधि के होते हैं.
उपसौर और अपसौर
पृथ्वी की परिक्रमा की दिशा पश्चिम से पूर्व है, जिस कक्षा में सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करती है, वह दीर्घवृत्तीय है.
अतः 3 जनवरी को सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी न्यूनतम (9.15 करोड़ मील) हो जाती है, जिसे उपसोर (Perihelion) कहते हैं.
इसके विपरीत 4 जुलाई को पृथ्वी की सूर्य से अधिकतम दूरी (9.15 करोड़ मील) होती है, जिसे अपसोर स्थिति (Aphelin) कहते हैं.
इंगलैंड के निकट शून्य देशांतर पर स्थित ग्रीनविच नामक स्थान से गुजरने वाली काल्पनिक रेखा प्राइम मेरिडीयन या शून्य देशांतर के समय को सभी देश मानक समय मानते हैं.
यह ग्रेट ब्रिटेन का मानक समय है, इसी को ग्रीनविच मीन टाइम कहते हैं.
अक्षांश
विषुवत् रेखा के उत्तर या दक्षिण किसी भी स्थान की विषुवत रेखा से कोणीय दूरी को उस ठान का अक्षांश कहते हैं तथा सामान अक्षांशों को मिलने वाली काल्पनिक रेखा को अक्षांश रेखा कहते हैं.
अक्षांश रेखाएँ विषुवत रेखा के (0° अक्षांश रेखा) के समानांतर होती हैं. 0-90° उत्तर और दक्षिण तक होती है.
1° अक्षांश के बीच की दूरी लगभग 111 कि.मी. होती है.
पृथ्वी के गोलाभ आकृति के कारण यह दूरी विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओरअधिक होती जाती है.
पृथ्वी के सतह पर किसी भी बिंदु की स्थिति अक्षांश रेखाओं द्वारा निर्धारित की जाती है.
उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा और दक्षिण अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं.
उत्तरी अक्षांश को कर्क वृत्त (Arctic circle) और दक्षिणी अक्षांश को मकर वृत्त (Antarctic circle) कहते हैं.
एपसाइड रेखा
अपसौरिक एवं उपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा जो सूर्य के केंद्र से होकर गुजरती है, उसे एपसाइड रेखा कहते हैं.
प्रकाश चक्र (Circle of Illumination)
वैसी काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी को प्रकाशित और अप्रकाशित भागों में बाँटती है, प्रकाश चक्र कहलाती है.
नक्षत्र दिवस (Sidereal time)
पृथ्वी के 360 डिग्री घूर्णन में लगा समय, जब एक विशेष तारे के समय में पृथ्वी पुनः अपनी स्थिति में वापस आ जाती है, नक्षत्र दिवस कहलाती है.
सौर दिवस (Solar Day)
जब सूर्य को गतिशील मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप में की जाती हैं, तब सौर दिवस ज्ञात होता है.
इसकी अवधि पूर्णतः 24 घंटे होती है.
लीप वर्ष (Leap Year)
प्रत्येक सौर वर्ष कैलंडर वर्ष से लगभग 6 घंटे बढ़ जाता है, इसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है.
लीपवर्ष 366 दिन का होता है, जिसमें फरवरी माह में 28 के स्थान पर 29 दिन होते हैं.
कर्क संक्रांति एवं मकर संक्रांति
सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की सीमा को संक्रांति कहा जाता है.
21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत होता है, इसे कर्क संक्रांति कहते हैं.
इसी दिन उत्तर गोलार्ध पर सबसे बड़ा दिन होता है.
देशांतर (Longitude)
ग्लोब पर किसी भी स्थान की प्रधान यामोत्तर (0°देशांतर या ग्रीनवीच के पूर्व या पश्चिम) से कोणीय दूरी को उस स्थान को देशांतर कहा जाता है.
सामान देशांतर को मिलने वाली काल्पनिक रेखा जो कि ध्रुवों से होकर गुजरती हैं, देशांतर रेखा कहलाती है.
यह पूर्व से पश्चिम दिशा में 180° तक होती है.
इस प्रकार देशांतर रेखाओं की कुल संख्या 360 है.
विषुवतीय रेखा पर दो देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी 111.32 कि.मी. होती है, जो ध्रुवोंकी ओर घटकर शून्य हो जाती है.
संघनन (Condensation)
जल के गैसीय अवस्था से तरल या ठोस अवस्था में परिवर्तित होने की प्रक्रिया संघनन कही जाती है.
यदि हवा का तापमान ओसांक बिंदु से नीचे पहुँच जाए तो संघनन की प्रक्रिया में वायु के आयतन, तापमान, वायुदाब और आद्रता का प्रभाव पड़ता है.
- यदि संघनन हिमांक (Freezing point) से नीचे होता है तो तुषार, हिम और पक्षाभ मेघ का निर्माण होता है.
- यदि संघनन हिमांक के ऊपर होता है तो ओस, कुहरा, कुहासा और बादलों का निर्माण होता है.
- संघनन की क्रिया अधिक ऊँचाई पर होने पर बादलों का निर्माण होता है.
ओस (Dew)
हवा का जलवाष्प जब संघनित होकर छोटी-छोटी बूंदों के रूप में धरातल पर पड़ी वस्तुओं (घास, पत्तियों आदि) पर जमा हो जाता है, तो उसे ओस कहते हैं.
तुषार या पाला (Frost)
जब संघनन की क्रिया हिमांक से नीचे होती है, तो जलवाष्प जलकणों के बदले हिम कणों में परिवर्तित हो जाता है, इसे ही तुषार या पाला कहते हैं.
तड़ित झंझा (Thunderstorm)
तड़ित झंझा तीव्र स्थानीय तूफ़ान या झंझावत है जो विशाल और सघन कपासी मेघों से उत्पन्न होता है.
इसमें नीचे से ऊपर की ओर पवनें चलती हैं.
मेघों का गरजना और बरसना इसकी प्रमुख विशेषता है.
ये संवहन का एक विशिष्ट रूप होते हैं.
विशिष्ट आद्रता (Specific Humidity)
आद्रता को व्यक्त करने का यह आणविक उपयोगी तरीका है.
हवा के प्रति इकाई भार में जलवाष्प के भार को विशिष्ट आद्रता कहते हैं.
इसे ग्राम प्रति किलोग्राम में व्यक्ति किया जाता है.
कुहरा
कुहरा एक प्रकार का बादल है, जब जलवाष्प का संघनन धरातल के बिल्कुल करीब होता है तो कुहरे का निर्माण होता है.
कुहरे में कुहासे की तुलना में जल के कण अधिक छोटी और संघन होती है.
कुहासा (Mist)
कुहासा भी एक प्रकार का कुहरा होता है, जिसमें कुहरे की अपेक्षा दृश्यता दूर तक रहती है.
इसमें दृश्यता 1 कि.मी. से अधिक पर 2 कि.मी. से कम होती है.
धुंध (Smog)
बड़े शहरों में फैक्टरियों के निकट जब कुहरे में धुएँ के कण मिल जाते हैं तो उसे धुंध कहते हैं.
धुंध कुहरे की तुलना में और सघन होता है.
इसमें दृश्यता और भी कम होती है.
निरपेक्ष आद्रता (Absolute Humidity)
हवा में प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आद्रता कहते हैं.
इसमें ग्राम प्रति घन मीटर में व्यक्त किया जाता है.
सापेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity)
किसी निश्चित तापमान पर वायु में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा और उस वायु के जलवाष्प धारण करने की क्षमता के अनुपात को सापेक्षिक आद्रता कहते हैं.
इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है.
आर्द्रता क्षमता (Humidity Capacity)
किसी निश्चित तापमान पर हवा के एक निश्चित आयतन में अधिकतम नमी या आर्द्रता धारण करने की क्षमता को उसकी आर्द्रता क्षमता कहते हैं.
संतृप्त वायु (Saturated Air)
जब हवा किसी भी तापमान पर अपनी आर्द्रता सामर्थ्य के बारबार आर्द्रता ग्रहण कर लेती है तो उसे Saturated Air कहते हैं.
गुप्त उष्मा (Latent Heat)
जल को वाष्प या गैस में परिवर्तित करने के लिए उष्मा के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता होती है.
एक ग्राम बर्फ को जल में परिवर्तित करने के लिए 79 कैलोरी तथा एक ग्राम जल को वाष्पीकरण द्वारा वाष्प में परिवर्तित करने के लिए 607 कैलोरी की आवश्यकता होती है.
वाष्प में उष्मा की यह छिपी हुई मात्रा गुप्त उष्मा कहलाती है.